भूटान से लेकर नेपाल और उत्तराखण्ड कहीं भी हिमार्लइ भूभाग अपनी सामान्य सिथति में नही है। केदारनाथ त्रासदी के बाद यह बात सीधे सामर्ने आइ थी कि उच्च हिमालय की पानी की झीलें, झरने और गलेशियर भारी मानवीय और वाहय दबाव में दरक रहे हैं जो भविष्य में किसी और बड़ी भयावह त्रासदी का संकेत है.गांधी शांति पुरस्कार विजेता डा भटट ने चेतावनी दी है कि सरकार तंत्र को तापमान परिवर्तन के खतरो के अलावा उच्च हिमालय में तोड़फोड़ और विनिर्माण के खतरों पर भी चेतना होगा।