”अध्यात्मक जीवन के संस्मरण”
द्वितीय संस्करण, वर्ष – 2010,
मूल्य 50- रूपये, पृष्ठ -101,
ISBN : 9788192013039
परमपिता परमात्मा की असीम कृपा से महात्मा जी द्वारा इस ‘पुस्तक में ऐसी सत्य घटनाओं को व्यक्त किया गया है जो ‘योग साधन में स्थूल जगत, सूक्ष्म जगत, कारण जगत एवं महाकरण जगत में घटित हुर्इ। महात्मा जी की वाह्रा दृषिट न होने पर भी परमात्मा ने पग-पग पर ‘अध्यात्मक ज्ञान के प्रचार में महान कृपा करी जो उन्हें निरन्तर ‘अलौकिक लीली के रूप में देखने को मिलती रही। रूहानी जगत एक अलौकिक जगत है जिसमें साधक को मुक्त आत्माओं को अलौकिक खेल देखने को मिलता है। जो साधक ‘सत्य ज्ञान का साधन करते हैं और जिनके भीतरी आंख, कान, मुख आदि खुल गये हैं, वे उन सिद्ध मुक्तात्माओं को देखते भी हैं और उनसे बात भी करते हैं। ये मुक्तात्माएं साधक की मदद भी करती हैं। इस पुस्तक में भौतिक सिद्धि और आध्यातिमक सिद्धि, पंच तत्वों का नाटक, अंधविश्वास का समाधान, असाध्य रोगी के लिए शानित, साधना शिविर में आश्चर्य, प्रकृति व पुरूष का संगम, जल समाधिष्ठ योगी, सदगुरू अंधों की आंख हैं, सच्चें दरबार का फैसला, अध्यात्म ज्ञानी की विजय, अन्त पति सो गति, सच्ची पूजा, प्रकृति जेल से छुटकारा, साधन में माया की बाधा, भोग में योग नहीं, वरदान न मांग कर ज्ञान मांगिए आदि सत्य घटनाओं को प्रस्तुत किया गया है ताकि ”योग साधन करने वाले साधक अपने ‘साधना पथ में आने वाली बाधाओं से विचलित ना होकर ”सत मार्ग में आगे बढ़ते रहें।