आत्म ज्ञान प्रकाश मंडल

तत्वदर्शी महात्मा श्री परमचेतना नन्द जी की उम्र इस समय लगभग 81 वर्ष है तथा आपकी बाहरी दृष्टि नहीं है। महात्मा जी ने हिमाचल प्रदेश के एकान्त बाड़ी नामक स्थान पर योग में सफलता प्राप्त की। स्वानुभूत आत्म ज्ञान को जन कल्याणार्थ प्रचार के लिए यत्र तत्र भ्रमण करते हुए निकले। एक बार इलाहाबाद में कुम्भ का मेला हो रहा था। महात्मा जी कुम्भ के मेले में एक पण्डाल लगाकर जनता को ज्ञान देना चाहते थे। मेला प्रभारी ने उसमें पण्डाल लगाने की अनुमति इसलिए नहीं दी क्योंकि महात्मा जी के पास सरकार का कोर्इ मान्यता प्राप्त पत्र नहीं था। उसके लिए एक पंजीकृत संस्था की आवश्यकता थी।

सत्संग कार्यक्रम

सत्संग कार्यक्रम
चेतन योग आश्रम, सैक्टर-11, रोहिणी, दिल्ली-110085 में प्रात: सांय आरती एवं अध्यात्म सत्संग

सतगुरू की महिमा

सतगुरू की महिमा
आज सभी प्रेमी पाठकों के लिए ''सदगुरू की महिमा” का वर्णन कर रहा हूँ हलांकि ''सदगुरू की महिमा” अवर्णनीय एवं अकथनीय है तथा ''सदगुरू की महिमा” को शब्दों में व्यक्त करना असम्भव है

आत्म ज्ञान / अध्यात्म ज्ञान

आत्म ज्ञान / अध्यात्म ज्ञान
आध्यत्म ज्ञान की जानकारी को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से व्यक्त किया जा रहा है-

संत की महिमा

संत की महिमा
निवृत्ति मार्ग के संत का योग स्वयं परमात्मा ही सिद्ध करता है। उनकी पहचान कोर्इ ''अध्यात्म ज्ञान को जानने वाला सेवक ही कर सकता है।

परमात्मा 'अनाम है

परमात्मा 'अनाम है
मैंने अपने योग साधन के प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर परमात्मा को ''अनाम बताया है जितने भी धर्मग्रन्थ हैं सबमें 'नमा की महिमा गायी गयी है। जब बच्चे का जन्म होता है तो नौ दस दिन में उसका नामकरण ब्राह्राण रखता है।

स्वर ज्ञान

स्वर ज्ञान
आज आपको योेग साधन की जानकारी दे रहे हैं। साधक शरीर के संतुलन को ठीक करने के लिए पदमासन आदि आसनों का सहारा लेता है। परन्तु प्राण के संतुलन को सिथर करने के लिए स्वर में शब्द ब्रह्रा का आसरा लिया जाता है।

फोटो गैलरी

फोटो गैलरी
महात्माजी | आश्रम | मारीषस | नैनीताल | हिमाचल