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दो शब्द

तत्वदर्शी महात्मा श्री परमचेतना नन्द जी की उम्र इस समय लगभग 87 वर्ष है तथा आपकी बाहरी दृष्टि नहीं है। महात्मा जी ने हिमाचल प्रदेश के एकान्त बाड़ी नामक स्थान पर योग में सफलता प्राप्त की। स्वानुभूत आत्म ज्ञान को जन कल्याणार्थ प्रचार के लिए यत्र तत्र भ्रमण करते हुए निकले।
एक बार इलाहाबाद में कुम्भ का मेला हो रहा था। महात्मा जी कुम्भ के मेले में एक पण्डाल लगाकर जनता को ज्ञान देना चाहते थे। मेला प्रभारी ने उसमें पण्डाल लगाने की अनुमति इसलिए नहीं दी क्योंकि महात्मा जी के पास सरकार का कोर्इ मान्यता प्राप्त पत्र नहीं था। उसके लिए एक पंजीकृत संस्था की आवश्यकता थी। यद्यपि मेला प्रभारी ने महात्मा जी के विचारों से प्रभावित होकर उन्हें दो दिन तक सरकारी पण्डाल में सत्संग करने की अनुमति दे दी। लेकिन स्वतन्त्र पण्डाल लगाने की अनुमति नहीं दी। वहां से महात्मा जी देश के विभिन्न भागों में भ्रमण करते हुए दिल्ली पहुंचें। दिल्ली में सभी प्रेमी अनुयायियों को संगठित कर आत्म ज्ञान प्रकाश मण्डल का गठन किया। जिसका 14 फरवरी 1990 र्इ0 को भारत सरकार द्वारा पंजीकरण किया गया था तथा महात्मा जी ने सैक्टर-11 रोहिणी दिल्ली में दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटित जमीन पर वर्ष 2003 में सत्संग भवन चेतन योग आश्रम का निर्माण किया है।
महात्मा जी के मार्ग दर्शन में यह संस्था देश के विभिन्न भागों में “अध्यात्म ज्ञान” के प्रचार में सलंग्न है। निशान इसका प्रतीक चिन्ह है जिसका केसरिया है जो वीरता का प्रतीक है तथा आत्म ज्ञान /अध्यात्म ज्ञान का प्रत्यक्ष बोध कराकर निस्वार्थ सत्य प्रेम शांति व भ्रातृत्व का वातावरण स्थापित करना इस संस्था का परम उदेश्य है।

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